- कई राज्यों के पर्यटन मंत्रालय कर रहे प्रचार – प्रसार, मध्यप्रदेश में पर्यटकों को संख्या बढ़ाने के लिए यहां भी नई योजनाएं बनाकर कार्य करना जरूरी
- मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ने के लिए कनेक्टिविटी पर देना होगा सबसे ज्यादा ध्यान
मध्यप्रदेश, जिसे हिंदुस्तान का दिल, हृदय स्थल, सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदेश और इसी तरह के कई दिलकश नामों से पुकारा जाता है। यूं तो देश भर में पर्यटन के मामले में टॉप 10 राज्यों में माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक विरासतें कहीं और देखने को नहीं मिलती। सांस्कृतिक विरासतों को संजोने वाला मध्यप्रदेश प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज है। यहां के धार्मिक नगरों का नाम वेद, पुराणों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है साथ ही यहां की पुरातन धरोहरें भी विश्व के ऐतिहासिक पटल पर अमिट छाप के रूप में दर्ज हैं। इन्हीं खासियतों को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश के पर्यटन को पंख लगाने के लिए 1978 में मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम की स्थापना की गई। 1982 की पर्यटन नीति में पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर दिया गया और 2017 में पर्यटन बोर्ड का गठन भी हुआ, लेकिन इन सभी के बावजूद कुछ कोशिशें आज भी बाकी है। जरुरत इस बात की भी है कि प्रचार के मैदान में आकर हिंदुस्तान के इस दिल की धड़कन देश ही नहीं पूरी दुनिया को सुनाई जाए।
कई राज्य दे रहे दूसरे प्रदेशों में दस्तक
अपने – अपने प्रदेश के पर्यटन को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने के लिए कई प्रदेशों की सरकारें अलग – अलग तरह के प्रयास कर रही है। सबसे खास तो यह कि एक प्रदेश के सरकारी नुमाइंदे और उनके साथी दूसरे प्रदेश में स्टॉल लगा रहे हैं। सिर्फ अपने पर्यटक स्थलों की ही नहीं बल्कि संस्कृति, रहन -सहन, खाने – पीने और आने- जाने के साधनों को भी प्रचारित कर रहे हैं। जम्मू – कश्मीर को इस तरह लगभग हर वर्ष ही कई राज्यों में पहुंचाया जाता है। पंजाब और राजस्थान भी इसी कोशिश में लगे हैं। छत्तीसगढ़ जगह – जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने में जुटा है और हाल ही में गुजरात पर्यटन के लोग इंदौर आकर लौटे हैं। ये बानगी सिर्फ कुछ प्रदेशों की है। जबकि अधिकतर प्रदेश इसी फेहरिस्त में अलग – अलग मुकाम पर अलग – अलग तरह की जुगत लगा रहे हैं। इसलिए मध्यप्रदेश को भी और ज्यादा कोशिश करना चाहिए, ताकि यहां की विशेषताएं दूसरे प्रदेशों के लोगों तक पहुंचे और यहां पर्यटकों की चहल कदमी बढ़ाई जा सके।
मजबूत होगा प्रदेश का अर्थ तंत्र
पर्यटकों की संख्या को बढ़ाना दरअसल प्रदेश की चहुंमुखी प्रगति को बढ़ाने की दिशा में एक सार्थक कदम साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जितने ज्यादा देशी – विदेशी पर्यटक मध्यप्रदेश में आएंगे, प्रदेश की प्रतिष्ठा भी उतनी बढ़ेगी। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और यहां का अर्थ तंत्र भी मजबूत होगा। प्रदेश सरकार अधिकतर पर्यटक स्थलों का कायाकल्प या तो कर चुकी है या इसकी योजना को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। इसलिए इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर यहां के पर्यटन स्थलों का ज्यादा से ज्यादा प्रचार – प्रसार किया जाना चाहिए।
जरूरत कनेक्टिविटी की…..
पर्यटन को प्रचारित करने के साथ ही इसे सुलभ बनाना भी बेहद जरूरी है ताकि बाहरी राज्यों और विदेशों के पर्यटक आसानी से सभी पर्यटन स्थलों पर घूम सके। इनमें सबसे पहले सवाल आता है ‘कनेक्टिविटी” का। प्रदेश में धार्मिक पर्यटन और ऐतिहासिक स्थलों का बोलबाला है। सांस्कृतिक विशेषताओं और आधुनिकता के मामले में भी मध्यप्रदेश बेजोड़ बनता जा रहा है, लेकिन इन सभी तरह के पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ने के लिए सुदृढ़ कनेक्टिविटी की आवश्यकता है। पर्यटकों को एक – दूसरे स्थान के बीच आना- जाना हो तो निर्भरता गिनी – चुनी ट्रेनों, निजी बस और टूर ऑपरेटरों के हवाले हो जाती है। या तो टुकडों – टुकड़ों में धक्के खाते हुए गंतव्य तक पहुंचे या निजी बस वालों की मनमानी सहन करते हुए। इसलिए प्रदेश के हर कोने – कोने को आपस में जोड़ने के लिए मजबूत कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए कांट्रेक्ट पर निजी ऑपरेटर रखे जा सकते हैं। साथ ही सरकारी व्यवस्थाएं भी हो सकती हैं।
सुविधाएं ही साख बनाती हैं, उनकी भी सुध लीजिए
पर्यटक स्थलों पर सैलानियों और यात्रियों के रहने, खाने, ठहरने की सुविधा ही वहां की साख बनाती और बिगाड़ती है। इन्हीं के आधार पर्यटक स्थानीय प्रशासन, निगम, बोर्ड अथवा राज्य सरकार को पसंद, नापसंद के अंक देते हैं। इसलिए इन सभी पर ध्यान देना जरूरी है। पिछले कुछ सालों में पूरे प्रदेश में इन सुविधाओं में सुधार तो हुआ है लेकिन अब भी इनका बड़ा हिस्सा निजी होटल मालिकों के ही हवाले है। यही कारण है कि छुटि्टयां शुरू होते ही अनापेक्षित ‘लूट” शुरू हो जाती है। पर्यटक अपने पसंदीदा स्थानों पर पहुंच तो जाता है लेकिन यहां सुविधाओं के मामले में मोनोपाली का शिकार होकर ठगा सा अनुभव करता है। इसलिए सुविधा की उपलब्धता के मामले में सरकार का गंभीर हस्तक्षेप आवश्यक है, जो होना ही चाहिए।
मध्यप्रदेश में सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व, सांस्कृतिक विशेषताएं तो भरपूर है अगर कनेक्टिविटी और सुविधा भी उचित पैमाने की होगी तो पर्यटक ‘ठगा” नहीं ‘लगाव” महसूस करेंगे। पर्यटन की संपूर्ण सुविधाओं की उपलब्धता के बाद ऐसा माहौल बनेगा कि हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में जो कोई आएगा उसका दिल हमेशा के लिए खुश हो जाएगा।
- शैलेंद्र खरे
लेखक ट्रेवल एजेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (टाफी) के मध्यप्रदेश चैप्टर के चेयरमैन हैं।