महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा में 20,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने खींचा रथ

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कृषि विहार, महू “जगन्नाथ-धाम” में स्थित जगन्नाथ मंदिर से महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र, एवं बहन सुभद्रा को सुंदर सुसज्जित रथ पर विराजित कर रथ यात्रा पूर्ण पारंपरिक एवं भक्ति भाव के साथ दिनांक 7 जुलाई को सायंकाल 4 बजे निकाली गई. महाप्रभु के रथ को कई प्रकार के सुन्दर पुष्पों से सजाया गया एवं भगवान का भव्य श्रृंगार किया गया. भक्तों में इस बार रथयात्रा के प्रति विशेष श्रद्धा एवं उत्साह देखने को मिला. जगन्नाथ मंदिर को भी सुन्दर आकर्षक शैली में सजाया गया तथा इक्कीस पताकाओं से मंदिर को अलंकृत किया गया. महाप्रभु के रथ को प्राचीन परम्परागत शैली में रथयात्रा के पहले स्वर्ण झाड़ू से बुहारा जाता है एवं इस परम्परा का निर्वाह जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी डॉ.अशोक मोहन्ती द्वारा पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया गया.

 

रथ यात्रा में महादेव के रूप को धारण कर शिव महिमा को प्रदर्शित किया गया जो विशेष आकर्षण का केंद्र था. हनुमान जी भी अपने विशाल स्वरूप में रथ यात्रा में साथ चलते हुए भक्ति भाव का प्रदर्शन कर रहे थे. साथ ही पच्चीस डमरू वादक अपने हाथ में डमरू को लेकर उसे बजाते हुए ध्वनि उत्पन्न करते हुए चल रहे थे जो कि रथयात्रा की भव्यता को कई गुणित किये दे रहे थे. में बैंड-बाजा भी भक्ति गीतों को गाता हुआ साथ चल रहा था. बड़ी संख्या में भक्तगण अपने हाथों से रथ की रस्सी को खींचते हुए अपने को धन्य समझते हुए गौरव का अनुभव कर रहे थे. रथयात्रा के रास्ते में जगह-जगह पानी, फलों, चाय, फलहारी आदि वितरित करने के लिए भक्तों के द्वारा मंच बनाए गए थे. रथ यात्रा जगन्नाथ धाम से निकलकर मुख्य मार्ग से होती हुई किशनगंज स्थित अपने मौसी के घर माँ कालिका के मंदिर पर पहुंची जहां पर महाआरती के पश्चात महाप्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा को पूर्ण आदर एवं भक्ति के साथ विराजित किया गया. इस मंदिर में इनका निवास आठ दिनों के लिए रहेगा. नौवें दिन वापसी यात्रा जिसे बाहुड़ा यात्रा भी कहते हैं 15 जुलाई 2024 सोमवार को संपन्न होगी जो कालिका मन्दिर से प्रारंभ होकर कृषि विहार स्थित जगन्नाथ धाम तक होगी, जिसके अंतर्गत प्रभु जगन्नाथ वापिस जगन्नाथ-धाम लौटेंगें.

रथ यात्रा को सुचारू संचालित करने हेतु पुलिस के अतिरिक्त बल के अलावा मंदिर के कार्यकर्ताओं का तथा अन्य भक्तजनों का विशेष सहयोग रहा.

मंदिर के मुख्य ट्रस्टी डॉ. अशोक मोहन्ती एवं मुख्य पुजारी पंडित रासबिहारी पंडा ने रथयात्रा को सफल एवं भव्य स्वरूप देने के लिए सभी सम्बन्धित समुदाय, विभागों एवं भक्तों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए आभार माना तथा आशा व्यक्त किया कि वापसी यात्रा अर्थात बाहुड़ा यात्रा भी दिनांक 15 जुलाई 2024 सोमवार को इसी प्रकार पूर्ण भक्ति के साथ सम्पन्न होगी.

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