गोदरेज एग्रोवेट ने पाम ऑयल प्लांटेशन की सस्टेनेबिलिटी पर दिया जोर

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इंदौर दुनिया भर में प्रसिद्ध पाम ऑइल प्रोसेसिंग कंपनी गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड ने इंदौर में आयोजित पाम ऑयल कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। सोलिडेरिडाद, एशियन पाम ऑयल एलायंस और एसईए द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “पाम ऑयल – स्वास्थ्य और पोषण के लिए धारणाओं को बदलना” (ट्रांस्फोर्मिंग प्रेसप्शन फॉर हेल्थ एंड न्यूट्रीशन) सेमिनार जिसमें गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड ने देश में पाम ऑयल प्लान्टेशन में सस्टेनेबिलिटी  को दोहराया।

इस कार्यक्रम में भारत के प्रमुख पोषण विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, चिकित्सा पेशेवर और खाद्य तेल उद्योगपति जैसे सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), अडानी-विलमर, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड को एक साथ एक मंच पर आए ताकि पाम ऑयल के बहुआयामी लाभों और भारत के खाद्य तेल के संबंध में इसकी भूमिका पर चर्चा की जा सके। चर्चा किए गए कुछ प्रमुख बिन्दुओं में पाम ऑयल के संभावित स्वास्थ्य लाभ शामिल थे, जिनमें हृदय और मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार, एंटीऑक्सीडेंट गुण और आंखों के स्वास्थ्य के लिए लाभ शामिल हैं।”

कार्यक्रम में भारत की पाम ऑयल पर बढ़ती निर्भरता को भी संबोधित किया गया, जो अब देश के कुल खाद्य तेल खपत के 38% से अधिक है। इस मांग को पूरा करने के लिए, 2025-26 तक अतिरिक्त 0.6 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पाम कल्टीवेशन को विस्तार करने की योजना बनाई गई थी। इस विस्तार से घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, अनुमानों से संकेत मिलता है कि क्रूड पाम ऑइल का उत्पादन 2025-26 तक 1.12 मिलियन टन तक पहुंच सकता है और 2029-30 तक 2.8 मिलियन टन तक और बढ़ सकता है, जो खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के भारत के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सेमिनार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य से मेल खाती है और नेशनल एडिबल ऑइल मिशन-पाम ऑयल से जुड़ी है जो भारत को खाद्य तेलों में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। इसका उद्देश्य पाम ऑयल के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव के बीच संबंधों के बारे में मौजूद मिथकों और गलतफहमी को दूर करना है।

गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के ऑयल पाम बिजनेस के सीईओ सौगाता नियोगी ने कहा, “नेशनल एडिबल ऑइल मिशन-पाम ऑयल हमारे देश के लिए खाद्य तेल के आयात को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 3-4 टन/हेक्टेयर/वर्ष की उपज क्षमता के साथ, यह सभी वेजिटेबल ऑइल सीड क्रॉप की तुलना में सबसे अधिक उपज देने वाली फसलों में से एक है। गन्ना और धान जैसी अन्य फसलों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, यह किसानों को 20 से अधिक वर्षों तक आय का एक निश्चित स्रोत प्रदान करने के साथ-साथ अंतरावर्ती खेती (इंटरक्रॉपिंग) के माध्यम से आय का वैकल्पिक स्रोत भी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा, केवल कृषि भूमि पर ही इस फसल को उगाने की अनुमति होने के कारण, पाम ऑइल क्षेत्र में बायोडायवर्सिटी को बढ़ाने में भी सहायक होता है।”

उन्होंने आगे कहा, “गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड देश की सबसे बड़ी पाम ऑइल प्रोसेसिंग कंपनी है और भारत में पाम ऑइल कल्टीवेशन को सस्टेनेबल और रिस्पोंसिबल तरीके से बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। तीन दशक से अधिक की अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए, हम किसानों को एंड-टू-एंड टेक्नोलॉजी और सर्विस प्रदान करते हैं। हमारी नवीनतम पहल, समाधान –  पाम ऑइल किसानों के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन सेंटर के माध्यम से, हम छोटे भूखंड वाले भारत के पाम ऑइल किसानों के उत्थान का प्रयास करते हैं और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की राष्ट्र की यात्रा में अपना योगदान देते हैं।

एशियन पाम ऑयल एलायंस के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने कहा, “दुनिया में सबसे ज्यादा पाम ऑयल आयात करने वाला देश होने के नाते, भारत खाने के तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रतिबद्ध है। सदियों से भारत में पाम ऑयल विभिन्न खाद्य और गैर-खाद्य उत्पादों का एक मुख्य तत्व रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में, इसके स्वास्थ्य, पोषण और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भ्रामक रिपोर्टें सामने आई हैं, जिससे हमारे किसानों, खासकर छोटे किसानों को नुकसान पहुँच रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह सेमिनार वैज्ञानिक रूप से सटीक जानकारी प्रस्तुत करके पाम ऑयल के बारे में जनता की धारणा को बदलने का लक्ष्य रखता है।”

पाम तेल में काफी सारा पोषण मौजूद है, क्रूड पाम ऑइल दुनिया के सबसे समृद्ध कैरोटेनॉयड सोर्सेज में से एक है (500-700 पीपीएम)। भारत की पाम ऑइल की खपत अब कुल खाद्य तेल खपत के 38% से अधिक हो गई है, इसके बाद सोयाबीन तेल (21%), सरसों का तेल (14%), और सूरजमुखी तेल (12%) का स्थान है।

सेमिनार ने पाम ऑयल के बारे में आम भ्रांतियों को दूर करने और इसके सकारात्मक गुणों को उजागर करने में सफलता हासिल की, जिससे भारत में पाम ऑयल उत्पादन और खपत के लिए अधिक स्पष्ट और टिकाऊ दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त हुआ। आरबीडी पाम ओलिन ऑइल के आयात 1237 मिलियन टन तक पहुंचने के साथ, इस कार्यक्रम ने भारत की बढ़ती खाद्य तेल जरूरतों को पूरा करने में घरेलू उत्पादन के महत्व को दर्शाया है।

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