इंदौर। जीवनशैली में बदलाव और स्क्रीन के बढ़ते उपयोग के कारण बहुत कम उम्र के बच्चों में आँखों का नंबर बढ़ने (मायोपिया) की समस्या बहुत अधिक देखने में आ रही है। आधुनिक तकनीक से अब इन बच्चों के चश्मे का नंबर बढ़ने से रोका जा सकता है। समय पर निदान एवं उपचार करने से एक बेहद गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।
नवीनतम तकनीकों से बच्चों में आँखों का नंबर बढ़ने से रोकने के लिए रविवार 19 मई 2024 को इंदौर में डॉ. पलक मायोपिया क्लीनिक की शुरुआत होने जा रही है। इस क्लीनिक में विशेषज्ञ डॉ. पलक अग्रवाल के नेतृत्व में अनुभवी डॉक्टरों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की टीम मौजूद है, जो मरीजों को बेहतर उपचार देने के लिए प्रतिबद्ध है। क्लीनिक में मायोपिया की रोकथाम, जांच और उपचार, स्पेशल चश्में और कॉन्टैक्ट लेंस (ऑर्थोकरेटोलॉजी) और लेसिक लेजर आई सर्जरी जैसी सुविधाएं उपलब्ध है।
ड्राई आई- कैटरेक्ट एवं लेसिक सर्जन डॉ. पलक अग्रवाल बताती हैं, “मायोपिया, जिसमें दूर का धुंधला दिखाई देता है। आंख के कॉर्निया और आँखों की लंबाई के कारण होता है, जिससे प्रकाश की किरणें आंख के रेटिना पर ढंग से केंद्रित नहीं हो पाती है।
डॉ. पलक मायोपिया क्लीनिक का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना और उन्हें इस नंबर को बढ़ने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि इस गंभीर समस्या से निजात मिल सके। यह संयोग ही है कि इस मायोपिया क्लीनिक का शुभारंभ मई के महीने में हो रहा है जब हर साल 23 से 28 मई तक विश्व स्तर पर विश्व मायोपिया जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है।
आगे डॉ पलक कहती हैं, “जो भी पेरेंट्स अपने बच्चों को दिखाने लाते हैं, उन्हें यह भी नहीं मालूम है कि चश्मे का नंबर बढ़ने से रोका जा सकता है ज्यादातर पेरेंट्स यही मानकर चलते हैं कि नंबर लगातार बढ़ता ही जाएगा। अब नवीनतम मल्टीफोकल चश्मे लगाने, कॉन्टैक्ट लेंसेस के उपयोग एवं आँखों की ड्रॉप्स के इस्तेमाल से बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। रात में पहने जाने वाला कॉन्टैक्ट लेंस जिसे ऑर्थोकरेटोलॉजी कहा जाता है, भी उपयोग किया जा सकता है। यह लेंस आंख की सतह को धीरे धीरे रीशेप करता है ताकि दिन में बिना चश्मे के स्पष्ट दृष्टि मिल सके।”