बच्चों और युवाओ में बढ़ रहे दृष्टि दोष के कारण एवं निदान के साथ ही अल्प दृष्टि एवं विजन थेरेपी पर विशेषज्ञ करेंगें मार्गदर्शन

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इंदौर। बदलती जीवनशैली और बिगड़ते वातावरण में  से तेजी से चश्मे के नंबर में वृद्धि हो  रही  है,आँखें बहुत ही संवेदनशील होती है इसलिए इनसे जुडी हर समस्या पर मार्गदर्शन और जागरूकता बहुत जरुरी है। इंदौर डिविजनल ऑप्टोमेट्री ब्लाइंड वेलफेयर एसोसिएशन एवं ऑप्टोमेट्री काउंसिल ऑफ इंडिया के संयुक्त संयोजन से रविवार, 28 जनवरी 2024 को तीसरी नेशनल ऑप्टोमेट्री कांफ्रेंस “दृष्टि मंथन 24” का आयोजन किया जा रहा है। इस कांफ्रेंस में अल्पदृष्टि, विज़न थेरेपी, और बच्चों में बढ़ रहे दृष्टि दोषों पर विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन किया जाएगा एवं जानकारी साझा की जाएगी। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन में होने वाली इस एकदिवसीय कांफ्रेंस में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पंजाब और कर्नाटक के 200 से अधिक दृष्टि दोष विशेषज्ञ (ऑप्टोमेट्रिस्ट) शामिल होंगे।

इंदौर डिविजनल ऑप्टोमेट्रिस्ट ब्लाइंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष ऑप्टोमेट्रिस्ट शैलेन्द्र वैष्णव ने बताया, “पिछले कुछ दशकों में चश्मे  से जुड़े रोगों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। पहले जिस समस्या को उम्र से जोड़कर देखा जाता है, आज युवाओं और बच्चों में भी तेजी से बढती जा रही है। 28 जनवरी को होने वाली इस कांफ्रेंस में देश भर के विशेषज्ञ शामिल होंगे एवं अपने अनुभव साझा करेंगें। वर्तमान परिवेश में बच्चों के असंतुलित खानपान, अव्यवस्थित दिनचर्या, कंप्यूटर एवं मोबाइल के अधिक उपयोग से न केवल चश्में के नंबर बढ़ने की शिकायत होने लगती है बल्कि उनकी आँखों की नसों में भी असंतुलन होने लगता है। नगर स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री अहमदाबाद के वरिष्ठ लेक्चरर ऑप्टोमेट्रिस्ट अतानु सामंता विज़न थेरेपी पर संबोधित करेंगें एवं बच्चों में होने वाली इन समस्याओं पर उचित समाधान देंगें।

इंदौर डिविजनल आप्टोमेट्रिस्ट ब्लाइंड वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव ऑप्टोमेट्रिस्ट धर्मेन्द्र आनिया ने बताया, “दृष्टि से जुड़ी समस्याओं को लेकर मेडिकल जगत में लगातार नए प्रयोग एवं अविष्कार किए जाते रहे हैं। लोगों को इनकी जानकारी होना बहुत जरुरी है ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सके। आँखों की नसों में कमजोरी या जन्मजात विकृति से दृष्टी कम होने की परिस्थिति में जहाँ पर दवाई, ऑपरेशन और चश्में भी कामयाब नहीं होते वहां दूरबीन,चश्में एवं स्टिक्स जैसी कुछ डिवाइसेस का प्रयोग किया जाता है। ये डिवाइसेस मरीजों को अपनी दिनचर्या के काम करने में काफी सहायक होती हैं। भारती विद्यापीठ सांगली महाराष्ट्र में ऑप्टोमेट्री संकाय के  विभागाध्यक्ष ऑप्टोमेट्रिस्ट अजित लिमये द्वारा इन सभी की उपयोगिता पर जानकरी दी जाएगी।

इंदौर डिविजन ऑप्टोमेट्रिस्ट ब्लाइंड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रवक्ता गजराज सिंह पंवार ने बताया, “आँखें शरीर का बेहद संवेदनशील अंग होता है, इसमें होने वाली समस्याओं का बारीकी से निरीक्षण बेहद जरुरी है। नेत्र रोगों में उपचार में भी बहुत सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। इस विषयों पर अधिक से अधिक जानकारी दी जानी बेहद जरुरी है। कभी कभी चश्में से भी आँखों की रौशनी ठीक नहीं होती इसका एक बड़ा कारण रेटिना की बीमारी है। नेत्र रोगों परिक्षण एवं निदान में पर्याप्त जानकारी होने के साथ ही अपनी प्रैक्टिस को आधुनिक संसाधनों के साथ अपग्रेड करना बहुत आवश्यक है ताकि मरीजों को इसका लाभ मिल सके। इस  विषय पर कांफ्रेंस में देश के नामचीन ऑप्टोमेट्रिस्ट डॉ. संजय मेहता द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा।

दृष्टि से जुड़े रोग, सावधानियां एवं उपचार को लेकर जागरूकता फैलाने बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही इस कांफ्रेंस में जन जागरण के उद्देश्य से एक स्मारक पत्रिका “दृष्टि मंथन” का विमोचन किया जावेगा, जो नेत्र दोषों पर जागरूकता एवं इससे जुड़ी भ्रांतियों पर सटीक जानकारी प्रदान करेगी। इस अवसर पर वरिष्ठ ऑप्टोमेट्रिस्ट हेमंत रत्न पारखी को ऑप्टोमेट्री के क्षेत्र अभूतपूर्व कार्यों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

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