जॉइंट रिप्लेसमेंट में फिजियोथेरेपी की जरूरत और प्रोटोकॉल पर हुआ सेमिनार

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इंदौर हमारे शरीर में कई जोड़ होते हैं, जहां हड्डियां एक-दूसरे के साथ जुड़ती हैं। कंधे, कुहनी, कूल्हे और घुटने में समय के साथ-साथ इन जोड़ों का कार्टिलेज खत्म होने लगता है और ऐसे केसेस में अक्सर जॉइंट रिप्लेसमेंट की आवश्यकता होती है। जॉइंट रिप्लेसमेंट के बाद फिजियोथेरेपी की आवश्यकता पर काफी भ्रांतियां हैं।

ऐसी भ्रांतियों पर बात करने के लिए इंदौर के मेडिकेयर हॉस्पिटल के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. हेमंत मंडोवरा द्वारा फिजियोथेरेपिस्ट्स के लिए ‘जॉइंट रिप्लेसमेंट तकनीक में आज और कल’ विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में डॉ हेमंत मंडोवरा ने जॉइंट रिप्लेसमेंट में उन्नत तकनीक विधियों, नए इम्प्लांट्स और इसके साथ फिजियोथेरेपी के प्रयोग के बारे में अपने अनुभव और जानकारियां साझा की।

अनुभवी और विशेषज्ञ जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. हेमंत मंडोवरा ने इस सेमिनार में बताया “ऑपरेशन में सर्जन के महत्व को तो हमेशा से सभी मानते आ रहे हैं, पर आज सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपिस्ट्स की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो चुकी है। यह सर्जन के अनुभव और फिजियोथेरपिस्ट्स की टीम का मिला जुला प्रयास है कि जो जॉइंट रिप्लेसमेंट करवाने के बाद जो मरीज आज से करीब दस वर्ष पहले पांचवे दिन खड़े होते थे, उन्हें हम पहले या दूसरे दिन पूरे आत्म विश्वास के साथ खड़ा कर कुछ कदम चलवा पाते हैं।”

इस इंटरैक्टिव सेशन में फिजियोथेरेपिस्ट्स के साथ डॉ हेमंत मंडोवरा द्वारा सर्जरी के पहले और सर्जरी के बाद के अनुभवों को साझा किया गया। साथ ही मिनिमल इनवेसिव सर्जरी, पार्शियल नी रिप्लेसमेंट, अस्पताल से जल्दी छुट्टी, रिप्लेसमेंट के बाद सामान्य स्थिति में लौटना, कंधे के जोड़ बदलने वाले मरीजों और उनके स्वास्थ्य से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हुई। साथ ही मरीजों के लिए यह सन्देश दिया गया कि न सिर्फ ऑपरेशन के बाद में बल्कि पहले भी फिजियोथेरेपी बेहद जरुरी है।”

सेमिनार में आर्थ्रोस्कोपिस्ट और स्पोर्ट्स इंज्यूरी स्पेशियलिस्ट डॉ पंकज व्यास, हैंड सर्जन डॉ नीरज वालेचा, फूट और एंकल सर्जन डॉ विशाल यादव  ने भी सेमिनार में फिजियोथेरपिस्ट्स से अलग – अलग विषयों पर बातचीत की।

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