- गैर-संचारी रोग से हर साल होती है लगभग 41 मिलियन लोगों की मौत
- दुनिया भर के आयुष चिकित्सा चिकित्सकों को संबोधित करेंगे प्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एके द्विवेदी
Jai Hind News, Indore
इन्दौर। नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज (एनसीडी) अर्थात गैर-संचारी रोग से हर साल लगभग 41 मिलियन लोगों की मौत होती है, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का 74 प्रतिशत है। इसी बेहद गम्भीर विषय पर चर्चा कर इनसे होने वाले मौतों के आँकड़ों को कम करने की दिशा में प्रयास करने के लिए दुबई में 13 से 15 जनवरी 2024 तक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। ‘‘गैर-संचारी जीर्ण रोग – आयुष के माध्यम से रोकथाम और प्रबन्धन’’ विषय पर होने वाले इस सम्मेलन में इन्दौर के दुनिया में विख्यात होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ एके द्विवेदी दुनिया भर के आयुष चिकित्सा चिकित्सकों को संबोधित करेंगे ।आप ‘‘होम्योपैथिक ट्रीटमेंट ऑफ अप्लास्टिक एनीमिया’’ विषय पर सम्बोधित करेंगे।
केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर कार्यपरिषद् सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी अप्लास्टिक एनीमिया की रोकथाम की दिशा में करीब ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। उन्होंने बताया कि द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय आयुष सम्मेलन का उद्देश्य आयुष को गैर-संचारी जीर्ण रोगों के लिए एक विश्वसनीय और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के रूप में प्रदर्शित करना है। इस आयोजन के तहत दुबई, दुनिया भर के आयुर्वेद विशेषज्ञों, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के जानकारों, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी-चिकित्सकों, नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों, शोधकर्ताओं और छात्रों के समूह की मेजबानी करेगा।
होलिस्टिक अप्रोच से रुक सकती हैं हजारों-लाखों मौतें
इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के विदेश राज्य मंत्री, वी. मुरलीधरन करेंगे। इस मौके पर आयुष राज्य मंत्री रामकिशोर कांवरे, संयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई, महामहिम संजय सुधीर, दुबई में भारत के महावाणिज्य दूत सतीश कुमार सिवन समेत अनेक गणमान्य अतिथि एवं विशिष्ट जन भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जायेगी कि पुरानी एवं नई चिकित्सा पद्धतियों में सन्तुलित समन्वय का होलिस्टिक अप्रोच अपनाकर हम हर साल होने वाली हजारों-लाखों मौतों के आँकड़ों को काफी कम कर सकते हैं। साथ ही साथ, आयुष प्रणालियाँ एनसीडी को रोकने और इन गम्भीर बीमारियों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।