कविताओं से बयां हुई … पेड़ों की पीड़ा और पर्यावरण की चिंता

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– सीईपीआरडी की पर्यावरण साहित्य गोष्ठी सम्पन्न
Jai Hind News, Indore
पर्यावरण संरक्षण विकास अनुसंधान केंद्र (सीईपीआरडी), इंदौर द्वारा एक मासिक पर्यावरण साहित्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री संदीप पारे ने दीप प्रज्ज्वलन कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। उपाध्यक्ष डॉ. अनिल भंडारी ने प्रारंभ में संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं विकास के संदर्भ में की जा रही महती गतिविधियों की जानकारी दी। “छाया ढूंढने से न मिले, धरती की चादर फटी, कैक्टस हर जगह मिले” पर्यावरण चिंता व जीवन की विद्रूपताएं गोष्ठी की केंद्र बिंदु रही।
वरिष्ठ कवि ढोबले जी की सरस्वती वंदना “नमन तुम्हें हो वीणा वादिनी” के शास्त्रीय गायन से कार्यक्रम का आरंभ हुआ। वरिष्ठ कवि प्रदीप ‘नवीन’ की पर्यावरण पर चिंता “छाया ढूंढने से”.. सराही गई। सुरेश रैकवार ने आशा जताई “वन जंगल न कटे, करें पूर्ण आयु”, राम नारायण सोनी की “खोल दो नेपथ्य सब आवरण फिर देखते हैं” और ओ पी जोशी ‘बब्बू’ ने “तन्हा रहा मेरा दिल” का पठन किया।
सर्व श्री मनोहर मधुर, राज संधेलिया, ओम उपाध्याय, डॉ इसरार खान, अशोक गर्ग, भीम सिंह पवार, किरण पांचाल आदि की प्रकृति आधारित प्रभावशाली रचनाएं सराही गई। पर्यावरण कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने पेड़ो की पीड़ा पर भावुक विचार रखे।
कार्यक्रम संचालक एस एन मंगल “सत्य” ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण को समर्पित रचना “देशद्रोही लुटेरों को सत्य सबक सिखाना है, मां भारती के वीरों पांचजन्य अब बजाना है” प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि श्री संदीप पारे ने कवियों एवं साहित्य गोष्ठी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए शुभकामनाएं दी। अंत में दिनेश जिंदल ने आभार माना।

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