विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस: हल्के फुल्के व्यायाम करने से कम हो सकता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा

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इंदौर बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द एवं तकलीफ बेहद आम समस्या है लेकिन इस दौरान एक स्थति ऐसे भी आती है जब हड्डियाँ इतनी कमजोर और नाजुक हो जाती हैं कि हल्का सा गिरना या झुकने या खांसने जैसा हल्का तनाव भी हड्डी को तोड़ सकता है। इस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के प्रति लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए हर वर्ष 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है।

शैल्बी हॉस्पिटल के हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ अनीश गर्ग ने कहा, “ऑस्टियोपोरोसिस का एक कारण बढती उम्र भी है, जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, हड्डियाँ कमजोर होती जाती हैं। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ऑस्टियोपोरोसिस होने का अधिक खतरा होता है। वहीँ यदि आपके परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरोसिस है, तो आपको भी इसके होने का अधिक खतरा होता है। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों में हार्मोनल चेंज, धूम्रपान, शराब और पर्याप्त व्यायाम न करना और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाईयाँ भी ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को बढ़ा सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या के दौरान जीवनशैली में बदलाव, धूम्रपान छोड़ना, शराब का सीमित सेवन और नियमित रूप से व्यायाम आपके लिए लाभकारी हो सकता है, वहीँ कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक भी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा फ्रैक्चर को रोकने के लिए हड्डियों की घनता को बढ़ाने वाली दवाएं भी कारगर सिद्ध हो सकती है।”

आगे डॉ गर्ग बताते है, “हड्डी एक लिविंग टिश्यु है जो लगातार टूटती और बनती रहती हैं, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तब होती है जब नई हड्डी पुरानी हड्डी की जगह उतनी तेजी से नहीं ले पाती है, ऐसे में हड्डियों की डेंसिटी कम हो जाती है और वे कमजोर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस में वैसे तो कोई लक्षण नहीं होते हैं जब तक कि फ्रैक्चर न हो और ये फ्रैक्चर आमतौर पर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं। फिर भी अगर पोश्चर में बदलाव, सांस की तकलीफ, आसानी से हड्डी का टूटना या फ्रैक्‍चर होना, पीठ के निचले हिस्से में दर्द जैसी समस्याएं हो रही है तो आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है। कुछ लोग जोड़ों के दर्द में मालिश और अन्य घरेलु उपचारों की सहायता लेते हैं जो कि इस स्थिति में बेहद हानिकारक हो सकता है, ऑस्टियोपोरोसिस का निदान एवं उपचार आमतौर पर लक्षणों, जोखिम कारकों, हड्डियों की स्थिति और मेडिकल इतिहास के आधार पर किया जाता है। इसलिए जोड़ों के दर्द के दौरान डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है कि आपके लिए कौन सा उपचार सर्वोत्तम है। अन्यथा समस्या और अधिक बढ़ सकती है।”

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