- इंदौर के कृष्णा गुरुजी हर वर्ष अनगिनत अज्ञात मृतकों की आत्मा की शांति के लिए करते हैं तर्पण कार्य
- प्रत्येक सर्व पितृ अमावस्या पर उज्जैन जाकर करते हैं वैदिक क्रिया
- 2019 में 152 मृतकों की अस्थियां को किया विसर्जित
Jai Hind News, Indore
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों के पास अपने जीवित माता-पिता के लिए समय नहीं है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों के मृतक रिश्तेदारों का तर्पण करते हैं। वो भी दो, चार, दस बल्कि सैकड़ों, हजारों लोगों का। ये हैं इंदौर के कृष्णा गुरुजी। कृष्णा गुरु जी हर वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर उज्जैन के सिद्ध वट जाकर पूरे विधि-विधान से इस संस्कार को पूरा करते हैं और अज्ञात मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। 2015 से यह सिलसिला चल रहा है। उज्जैन में प्रत्यक्ष पूजा-अर्चना करने के साथ ही वे देश-विदेश के ब्राह्मण विद्वानों और आम लोगों के साथ ऑनलाइन भी इस प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं।
2019 में विसर्जित की 152 लोगों की अस्थियां
कृष्णा गुरुजी ने बताया कि कुछ वर्ष पहले मुझे किसी अखबार के माध्यम से जानकारी मिली थी, कि कई अज्ञात मृतकों की अस्थियां मुक्ति धाम में रखी हुई हैं और उनका तर्पण करने वाला भी कोई नहीं है। 2019 में मैंने इंदौर नगर निगम में संपर्क किया तो वहां 152 लोगों की अस्थियां रखी होने की जानकारी मिली। मैं उन सभी अस्थियों को उज्जैन लेकर आया और उनका विसर्जन कर तर्पण प्रक्रिया पूरी की।
हर वर्ष देश-विदेश में ऑनलाइन तर्पण
कृष्णा मिश्रा गुरुजी (योगाचार्य) ने बताया कि उज्जैन के सिद्ध वट में सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर यह कार्य करने के अलावा ऑनलाइन तर्पण भी करवाया जाता है। इसमें इंदौर के साथ ही उज्जैन, हरिद्वार, गयाजी, बद्रीनाथ आदि स्थानों को जोड़कर प्रक्रिया पूरी कर दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है।
अपने माता-पिता या परिजनों की तर्पण क्रिया और पिंड दान सभी करते हैं लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जिनका इस दुनिया में कोई नहीं होता और उनकी अंतिम क्रिया भी नहीं हो पाती। ऐसे लोगों को भी मोक्ष मिल सके और सभी संस्कार विधि विधान के साथ पूरे हो सके, इस बात को ध्यान में रखकर हम सभी को अपने-अपने शहरों में तर्पण क्रिया करना चाहिए।