असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाती है ग्रैड प्रणाली: डॉ. बीआरसी

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इंदौर: असाध्य रोगों से मुक्ति समय की मांग है। स्वस्थ और सुखी जीवन जीना हर व्यक्ति का अधिकार है और ग्रैड सिस्टम एक ऐसा समाधान है जो इस आजादी को सुनिश्चित करता है। ऐसा कहना है ग्रैड सिस्टम और डिप डाइट प्रोटोकॉल के आविष्कारक डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी का, जो  ‘बीआरसी’ नाम से मशहूर हैं। उन्होंने भारत सरकार से आयुर्वेद तथा नेचुरोपैथी जैसी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के विकास के लिए ‘ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ को निरस्त करने का अनुरोध किया है।

डॉ. बीआरसी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को खत्म करने और एलोपैथी को स्थापित करने के लिए ब्रिटिश शासकों ने ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 नामक इस कुख्यात कानून की शुरुआत की, जिसकी आड़ में आज भी इन चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार को रोका जाता है।

जाने-माने आहार विशेषज्ञ, डॉ. बीआरसी ने कहा कि पुराने किडनी रोग (सीकेडी) के 75% तक मरीज आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा समर्थित, तथा गुरुत्वाकर्षण और तापमान-आधारित ग्रैड सिस्टम की मदद से ठीक हुए हैं। पहली बार ग्रैड की मदद से गुर्दा रोगियों को डायलिसिस से मुक्ति मिली है। डॉ. चौधरी के आविष्कार से कैंसर, गुर्दा-रोग, मधुमेह जैसे असाध्य रोगों को ठीक करने में सफलता मिली है।

डॉ. बीआरसी की मेडिकल इंजीनियरिंग की मदद से असाध्य रोगों का इलाज संभव है और यह बात नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय तथा भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के क्लिनिकल ट्रायल में भी साबित हो चुकी है। उन्हें हाल ही में आईआईटी मंडी और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पैक) चंडीगढ़ में ग्रैड प्रणाली पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था।

इस बीच, दिल्ली में आयोजित एक भव्य स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में देश-विदेश के 36 मरीज़ शामिल हुए जो कैंसर, थैलेसीमिया, किडनी और लीवर फेलियर, डायबिटीज टाइप-1/2 और ब्रेन ट्यूमर आदि जैसी असाध्य बीमारियों से ठीक हुए हैं। इन मरीजों ने डॉ. बीआरसी के क्रांतिकारी ग्रैड सिस्टम से ठीक होने के अपने प्रेरक अनुभव साझा किए। उन्होंने महंगी दवाओं या दुष्प्रभावों के बिना सरल और लागत प्रभावी भारतीय पारंपरिक तरीकों के माध्यम से उपचार के प्रमाण भी प्रस्तुत किए।

डॉ. बीआरसी ने कहा, “स्वस्थ भारत अभियान के तहत हम आधुनिक चिकित्सा और अंग प्रत्यारोपण के दुष्प्रभावों के बिना लोगों की मदद कर रहे हैं और जीवनशैली में बदलाव, अनुशासित दिनचर्या, संतुलित आहार, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म के माध्यम से नया जीवन प्रदान करने में सफल रहे हैं।”

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