काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के नाम पर लाखों हड़पे, पूर्व महिला कर्मचारी और दो दोस्त गिरफ्तार

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जारी किया गया सर्टिफिकेट

इंटीरियर डिज़ाइनर को उन्हीं की पूर्व कर्मचारी और उसके दो दोस्तों ने नकली अधिकारी बनकर ठगा

नाम के आगे आर्किटेक्ट लगाने को लेकर 7 साल की सजा दिलवाने और 12 साल का जुर्माना लगाने की धमकी देकर डराया

तीनों आरोपी हिरासत में, 100 से ज्यादा लोगों को ठगने का मामला

JAI HIND NEWS, Indore 2 june 2023

नकली पुलिस, आरटीओ और इनकम टैक्स ऑफिसर बनकर लोगों को चूना लगाने के कई मामले आ चुके हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के नाम पर धोखाधड़ी की गई है। शहर के एक इंटीरियर डिज़ाइनर से उन्हीं की पूर्व कर्मचारी और उसके दो साथियों ने मिलकर 5 लाख 54 हजार रुपए हड़प लिए। पहले नियमों का उल्लंघन बनाकर लाखों ठगे, बाद में सरकारी अधिकारी बनकर मामला सेटल करने और सरकारी टेंडर दिलवाने के नाम पर भी करीब 4,54,000 रुपए ले लिए गए। पुलिस ने तीनों आरोपियो माधुरी जाधव, मोहम्मद शहनील पिता मो. अनवर, औवेश अली पिता सादिक अली को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। फरियादी के मुताबिक इस गिरोह से ठगाए लोगों की संख्या 100 से ज्यादा हो सकती है। यह संख्या खुद आरोपियों ने फरियादी को बताई थी।

मामला इन्दौर के द्वारिकापुरी कॉलोनी निवासी इंटीरियर डिज़ाइनर आदित्य लाड से जुड़ा है। आदित्य ने बताया कि माधुरी नामक युवती उनके साथ काम करती थी। स्टाफ की सदस्य होने के नाते उसे कई जानकारियां थीं और इसी का फायदा उठाकर उसने और उसके दो साथियों ने ठगी को अंजाम दिया। तीनों आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से आदित्य लाड से रुपये ऐंठने की नियत से councilofarchitecture.ind@gmail.com मेल आईडी से मेल भेजा। मेल में लिखा था कि आपने काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के नियमों के विरूद्ध काम किया है और इसलिए आपको 7 साल की जेल और 12 लाख रुपए का जुर्माना होगा।

मेल पेर इस तरह का लेटर जरी कर शिकायत होने का हवाला दिया गया है

एक दूसरे को पहले से जानते थे आरोपी

गौरतलब है कि तीनों आरोपी पहले से एक दूसरे को जानते थे। आरोपी औवेश अली भी आदित्य की साइटों पर पीओपी का काम करता था और वह भी बारीकियों से परिचित था। उसने अपने एक दोस्त मो.  शहनील को भी इस योजना में शामिल किया और तीनों ने मिलकर आदित्य के खिलाफ वारदात को अंजाम दिया। शिकायतकर्ता आदित्य लाड ने बताया कि वह नवनीत दर्शन बिल्डिंग, ओल्ड पलासिया स्थित ऑफिस से कार्य करता था।

फर्जी मेल से किया खेल 

30 मार्च 2022 को architecturecouncilindore@gmail.com  से एक ई-मेल प्राप्त हुआ जो देखने में काउंसलिंग ऑफ आर्किटेक्चर के कार्यालय से भेजा हुआ प्रतीत हो रहा था। आदित्य इस ईमेल के आशय को समझ पाता इससे पहले उसे एक दूसरा मेल एक अन्य ई-मेल आईडी councilofarchitacture.ind@gmail.com से प्राप्त हुआ। इसके बाद 1 अप्रैल 2022 को औवेश पिता सादिक अली निवासी खजराना का फोन आदित्य के पास पहुंचा। औवेश ने कहा कि तुम्हारी काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर में शिकायत हुई है। उसने शिकायत के स्क्रीन शॉट आदित्य के व्हाट्सएप नंबर पर भेजे और कहा कि तुम्हारे ई-मेल पर नोटिस आया होगा। इस प्रकार आरोपियो ने शिकायतकर्ता आदित्य लाड पर बहुत दबाव बनाया, धमकाया और रुपए 12 लाख तक के जुर्माने और 7 साल तक की जेल का डर बताकर करीब 1,00,000 रुपये से अधिक रुपये ऐंठ लिए।

एक आरोपियो ने दूसरे को सरकारी अधिकारी बताया और वारदात की

औवेश ने मोहम्मद शेहनिल का परिचय सिद्धार्थ के रुप में आदित्य से करवाया और कहा कि सिद्धार्थ ही काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के अधिकारी हैं और ये आपका (आदित्य का) मामला रफा दफा करवा देंगे। इस प्रकार आरोपियो ने धीरे-धीरे शिकायतकर्ता आदित्य लाड से कुल रुपए 2 लाख से अधिक रुपए हड़प लिए। क्राइम ब्रांच की जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि आरोपियो ने शिकायतकर्ता को ना केवल फर्जी ई-मेल भेजे बल्कि आरोपी मोहम्मद शेहनिल नाम बदलकर सिद्धार्थ बना और स्वयं को शासकीय अधिकारी भी बता दिया। पुलिस आज तक भी यह पता नहीं लगा पाई है कि असली सिद्धार्थ और शिव मात्रे कौन है कौन है? क्योंकि मोहम्मद शहनील स्वयं को सिद्धार्थ और शिव मात्रे के रूप में प्रदर्शित करते हुए फोन पर बात करता था।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी हुआ

आरोपियो ने शिकायतकर्ता को ब्लैकमेल कर नकद के साथ ऑनलाइन रुपए भी प्राप्त किए। 07/04/2022 को औवेश के मोबाइल पर 10,000/-, माधुरी के मोबाइल पर 07/05/2022 को रुपए 10,000/- ट्रांसफर किए। इसके अलावा 08/04/2022 को 8,000/- रुपए ऑनलाइन प्राप्त किये। इसके अलावा और भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अलग-अलग मोबाइल नंबरों पर हुए हैं।

पहले क्राइम ब्रांच में टाला, कमिश्नर से शिकायत के बाद दर्ज हुई एफआईआर

शिकायतकर्ता ने पूर्व में दिनांक- 17/03/2023 को आरोपियो के विरुद्ध एक शिकायती आवेदन डीएसी क्राइम ब्रांच को दिया था किंतु जांच के नाम पर क्राइम ब्रांच के अधिकारी मामले को टालते रहे। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्तागण प्रवीण कचोले, अमित मंडलोई, तृप्ति सिंघल एवं सागर मोदी के माध्यम से दिनांक-20/4/2023 को एक लिखित शिकायती आवेदन पुलिस कमिश्नर, इंदौर को दिया जिसके बाद क्राइम ब्रांच के अधिकारी हरकत में आए और 27/04/2023 को आरोपियों के विरुद्ध जांच पूरी करके एफआईआर दर्ज की। क्राइम ब्रांच ने आरोपियों के विरुद्ध धारा 419, 420, 467, 468, 471, 34 भादवि के अंतर्गत अपराध दर्ज किया। खजराना निवासी दो युवकों मोहम्मद शहनील पिता मो. अनवर, औवेश अली पिता सादिक अली एवं श्याम नगर निवासी एक युवती माधुरी जाधव (आदित्य की पूर्व कर्मचारी) के विरुद्ध 2 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने, कूट रचना, कूटरचित दस्तावेजों को प्रयोग में लाने का केस दर्ज कर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। सेशन कोर्ट से उनकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है।

कूटरचित प्रमाण पत्र जारी किया, माफीनामा भी लिखवा लिया

आरोपियो ने रुपए लेने के बाद शिकायतकर्ता आदित्य लाड को एक कूटरचित प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया जो कि स्पॉन्सरशिप से संबंधित था। आदित्य को क्लीन चिट देने और स्पॉनसरशिप प्रमाण पत्र जारी करने नाम पर भी आरोपियो ने शिकायतकर्ता आदित्य लाड से रुपए लिये। आदित्य  पर इतना मानसिक दबाव बनाया गया कि कि उससे माफीनामा तक ई-मेल पर माफीनामा तक लिखवाया गया। आदित्य से councilofarchitecture.ind@gmail.com पर अपना माफीनामा मेल करवाया गया था।

सरकारी स्कूल और मेट्रो स्टेशन के टेंडर के नाम पर भी 4,54,000 रुपए वसूले

आरोपी मोहम्मद शेहनिल ने आदित्य को सरकारी टेंडर का झांसा दिया और कहा कि इसमें हम सब मिलकर कमाएंगे। टेंडर के नाम पर पीड़ित से 4,54,000 रुपए का दबाव बनाया गया और धमकाया गया कि नहीं दोगे तो तुम्हारा केस ओपन कर देंगे। घबराए शिकायतकर्ता ने बाजार से ब्याज पर पैसे उधार लेकर मोहम्मद शेहनिल को दिए। आरोपित माधुरी ने इन पैसों की गारंटी ली और शिकायतकर्ता के पिता को भी झांसे में लिया और जल्द पैसा कमाकर देने की बात कही। पीड़ित को इतना प्रताड़ित किया की नगद रुपए पर नाम लिखने को कहा |

क्राइम ब्रांच ने दर्ज की एफाइआर्

क्या है काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर

सीओए का गठन भारत की संसद द्वारा अधिनियमित आर्किटेक्ट अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया है, जो 1 सितंबर, 1972 को लागू हुआ था। अधिनियम आर्किटेक्ट के पंजीकरण के लिए व्यवस्था प्रदान करता है इसके नियमों के अधीन वास्तुकला का कार्य करना अनिवार्य होता है।

 

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