-
मोटापे की चपेट में आने वालों में संयुक्त परिवार की अपेक्षा एकल परिवार के सदस्य ज्यादा
-
एकल परिवार के सदस्य अपेक्षाकृत ज्यादा बार बाहर का भोजन कर मोटापे को देते हैं निमंत्रण
-
मरीजो के लिए चलाया जाएगा “निरामय भारत” कार्यक्रम
इंदौर :शहर में आउट पेशेंट डिपार्टमेंट में आए आसपास के शहर एवं गांव से लगभग 600 मधुमेहियों में यह देखा गया है कि 86 प्रतिशत ऐसे हैं जो मोटापे या अधिक वजन की चपेट में हैं, मोटापे की चपेट में ज्यादातर वे लोग हैं जो एकल परिवार में रहते हैं जबकि संयुक्त परिवार में रहने वालों में यह समस्या कम दिखी। इसकी वजह एकल परिवार में रहने वालों का बाजार से खाना लाकर ज्यादा सेवन करना, टीवी या मोबाइल देखते हुए भोजन करना और व्यायाम अदि कम करना है।
ख्यात मधुमेह व हार्मोन रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप जुल्का ने हाल ही में ओपीडी में आए 600 मधुमेह मरीजों में यह बात सामने आई कि 86 प्रतिशत मधुमेही अधिक वजन और मोटापे की श्रेणी में आते हैं। इनमें मधुमेह से पीडितों की संख्या में से 51 प्रतिशत पुरुष और 49 प्रतिशत महिलाएं हैं। मधुमेह पीडित केवल शहर के ही नहीं बलि्क गांव के भी हैं। मोटापे की श्रेणी में शामिल होने वालों में 67 प्रतिशत लोगों की उम्र 30 से 60 वर्ष के मध्य ही है। बात अगर महिला और पुरुष के अनुपात की करें तो मोटापे से ग्रसित महिलाओं की संख्या 40 प्रतिशत और पुरुषों की संख्या 33 प्रतिशत है जिन्हें मोटापा और मधुमेह है उनमें से 48 प्रतिशत लोग एकल परिवार में रहते हैं।मोटापे से ग्रसित 57 प्रतिशत लोग खाना खाते समय टीवी देखते है। इन मरीजों में पुरुष महिलाओं की तुलना में ज्यादा क्रियाशील पाए गए। लगभग 22 प्रतिशत पुरुष शारीरिक रूप से क्रियाशील है जबकि महिलाओं का प्रतिशत केवल 19 पाया गया। इन मरीजों में 52 प्रतिशत प्रति व्यक्ति प्रति माह औसतन तेल की खपत 1 लीटर से ज्यादा पाई गई है। दिलचस्प बात तो यह है कि 27 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं है कि वे प्रतिमाह कितना तेल उपयोग करते हैं, जबकि एक सामान्य व्यक्ति को प्रति माह प्रति व्यक्ति तेल की खपत 600 मिलीलीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इससे यह बात समझ में आती है कि मधुमेह व मोटापे के मरीजों में दिन-प्रतिदिन वृदि्ध हो रही है।
लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से डॉ संदीप जुल्का लाए हैं निरामय भारत। यह एक ऐसा कार्यक्रम एवं कार्यशाला है जिसमें सम्मिलित होने वाले व्यक्ति को उसके वजन के अनुसार उचित आहार परामर्श, सही व्यायाम एवं योग का प्रशिक्षण, सही भोज्य पदार्थ एवं ब्लड की जांच उपलब्ध होगी।
इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले व्यक्ति विशेष को दैनिक व्यायाम और योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा जो उन्हें नियमित रूप से करना होगा। प्रति सप्ताह खाने से संबंधित डाइट परामर्श दिया जाएगा और प्रति सप्ताह खाने का मूल्यांकन किया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि मरीज खाने से संबंधित कहां गलतियां कर रहा है एवं मरीज प्रति सप्ताह दर सप्ताह कितनी उन्नति कर रहा है। इस कार्यक्रम में आने से पहले वह बाद में ब्लड की जांच भी की जाएंगी जिससे इस कार्यक्रम में आने वाले मरीज को अधिकतम स्वास्थ्य लाभ दिया जा सकेगा।