मिर्गी की बीमारी के कई मामलों में सर्जरी बेहतर विकल्प – डॉ. कछारा

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इंदौर: मिर्गी की बीमारी मस्तिष्क कोशिकाएं संबंधी विकार है, जिसमें अचानक जरूरत से ज्यादा विद्युतीय गतिविधि के कारण व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है। मस्तिष्क में गड़बड़ी के कारण यह दौरा रोगी को बार-बार पड़ने की समस्या होती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह अनियंत्रित हो जाता है और शरीर असामान्य हो जाता है। मिर्गी की बीमारी अनुवांशिक हो सकती है मगर सही समय पर सही डॉक्टर से उपचार करवाया जाए तो मरीज ठीक हो सकता है। कई मामलों में मरीज दवाइयों से ही ठीक हो जाते है लेकिन इसका इलाज लंबा चलता है। इस बीमारी के बेहतर इलाज के लिए मस्तिष्क की एपिलेप्सी सर्जरी भी होती है। यह सुविधा मध्यप्रदेश में मेदांता अस्पताल में उपलब्ध है।

मेदांता सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, इंदौर के डॉ. रजनीश कछारा (डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोसाइंसेज़) के अनुसार मस्तिष्क के दायें एवं बायें हिस्से में याद्दाश्त एवं भावनाओं को नियंत्रित करने वाली हिप्पोकैम्पस नामक एक विशेष ब्रेन तंत्र में कई बार बचपन में बुखार के साथ आने वाली मिर्गी, संक्रमण, सिर की चोट आदि कारणों से धीरे-धीरे एक विकार उत्पन्न हो जाता है, जिसे मीसीयल टेम्पोरल स्केलोरोसिस कहा जाता है। इस विकार के कारण बार-बार दौरे आते है जो दवाईयों द्वारा नियंत्रित नहीं हो पाते है। सर्जरी द्वारा इलाज होने से लगभग 70 से 80 प्रतिशत रोगी ठीक हो कर दवाईमुक्त हो जाते है। वही मीसीयल टेम्पोरल स्केलोरोसिस के अलावा बहुत-सी और बीमारियों में भी सर्जरी के द्वारा दौरे बंद किए जा सकते है। जिन मिर्गी के केसेस में दवा का असर कम होता है या दवाइयां बेअसर होती है  उसे रिफ्रेक्टरी एपिलेप्सी कहा जाता है  ऐसे केसेस में उन्हें सर्जरी का विकल्प दिया जाता है l सर्जरी की सुविधा अभी भारत के बड़े शहरों में ही उपलब्ध है l  मध्यप्रदेश में मेदांता अस्पताल में न केवल मिर्गी का सामान्य इलाज बल्कि सर्जरी की सुविधा भी उपलब्ध है।

मेदांता सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, इंदौर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वरुण कटारिया बताते है कि – मिर्गी के लक्षणों में आमतोर पर  बेहोश होना, गिर जाना, हाथ-पैर में झटके,आँखे फेरना, आना आदि है। बेहोशी तथा अनियंत्रित हाथ-पैर का हिलना(कापना), इसका मुख्य लक्षण है। मिर्गी की बीमारी के अलग-अलग उम्र के व्यक्तियों में अलग-अलग कारण होते है, लेकिन मिर्गीग्रस्त व्यक्तियों में से आधे लोगों को मिर्गी के कारण का पता नहीं चलता। कुछ मामलों में कारण का पता लगाया जा सकता है जो मस्तिष्क के भीतर होने वाला रक्तस्त्राव, एचआईवी संक्रमण, मस्तिष्क की असामान्य रक्तवाहिनियां, लकवा, सिर में गहरी चोट लगना या मस्तिष्क में आक्सीजन की कमी होना, असामान्य मस्तिष्क का विकास, जन्म के समय शिशु को ट्रॉमा लगना, मस्तिष्क की गांठ, पारिवारिक मिर्गी का इतिहास, मस्तिष्क का संक्रमण यानी ब्रेन एब्सेस हो सकता है।

एपिलेप्सी सर्जरी के लिए प्रशिक्षित न्यूरो सर्जन एवं न्यूरोलोजिस्ट की टीम होना जरूरी है, जो मेदांता अस्पताल में उपलब्ध है। पिछले सालों में ऐसे कई ऑपरेशन किए गए है, जो अब बेहतर ज़िन्दगी व्यतीत कर पा रहे हैं। मेदांता अस्पताल समय-समय पर इस मिर्गी की बीमारी से लोगों को जागरूक करना चाहते है और बताना चाहते है  इसका इलाज संभव है  एवं  सही समय पर इलाज मिलने से भविष्य में होने वाले बड़े आघात से बचा जा सकता है l

मिर्गी की बीमारी को जांचने के लिए इलेक्ट्रोएंसेफेलोग्राम (ईईजी) और ब्रेन स्कैन यानी सी.टी स्कैन व एमआरआई किया जाता है। सही उपचार से केवल दवाइयों से ही 70 प्रतिशत मामलों में मिर्गीग्रस्त मरीजों को मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जाते है। प्रशिक्षित डॉक्टर मरीज के मिर्गी के प्रकार, उम्र, लिंग और अन्य संबंधित बीमारी के आधार पर डॉक्टर मरीज को उचित दवा का उपचार देते है। हर मरीज को मिर्गी-रोगी दवाएं जीवनभर लेना जरूरी नहीं होता है। कई केस में यह बीमारी तीन चार साल के बाद ठीक हो जाती है लेकिन कई केस में पूरी जिंदगी दवाई खाना पड़ती है।

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