विश्व अल्जाइमर दिवस 2022 : 21 सितंबर को

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विश्व अल्जामइर दिवस पर मेदांता हॉस्पिटल के न्यूरो कंसलटेंट डॉ. वरुण कटारिया से जाने कितनी खतरनाक है ये बीमारी

इंदौर : धीरे-धीरे अल्जाइमर रोग (Alzheimer Disease) दिमाग के विकार का रूप लेता है और याददाश्त को खत्म करता है. आम तौर पर अल्जाइमर वृद्धावस्था में होता है. यह 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है| विश्व अल्जाइमर दिवस (Alzheimer Day) 21 सितंबर को मनाया जाता है | इस बार विश्व अल्जाइमर दिवस 2022 की थीम डिमेंशिया को जानो, अल्जाइमर को जानो है।  यह बीमारी एक उम्र के बाद लोगों में होने लगती है, जिसमें लोग चीजों को याद नहीं रख पाते हैं| उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारीयां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं| इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स-डिमेंशिया) की है l विश्व अल्जाइमर दिवस के उपलक्ष पर मेदांता हॉस्पिटल के न्यूरो कंसलटेंट डॉ. वरुण कटारिया ने लोगो में इस बिमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए बिमारी के लक्षण और बचाव पर चर्चा की ताकि कोई भी व्यक्ति अज्ञानता के कारण इस बीमारी की तकलीफ न झेले I हर बुजुर्ग को अधिकतर अपनी बीती जिंदगी का हर पल याद करने और एक ऐसा जीवन जीने का अधिकार हैं, जिसका वास्तव में कोई मायने हो |

मेदांता हॉस्पिटल के न्यूरो कंसलटेंट डॉ. वरुण कटारिया बताते है की – अक्सर हम भूलने की आदत को बढती उम्र का एक सामान्य लक्षण मान लेते हैंI पर दरअसल यह अल्जाइमर के लक्षण हो सकता हैI आश्चर्य की बात ये है की 90% अल्जाइमर मरीज इसलिए इस परेशानी को लगातार झेलते हैं, क्योंकि अधिकतर लोगो को इसके बारे में पता ही नहीँ होता I साथ ही इस बात से भी अनजान होते हैं कि इस बीमारी का जल्द निदान और उपचार करने से इन मरीजो की जिन्दंगी बदल जाती हैं | जिन्हें अल्जाइमर है  उन बुजुर्गों की तादाद लगातार बढ़ रही है इसीलिए इस बीमारी से बचाने के लिए हर साल 21 सितंबर को  विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य जागरूकता लाना है, ताकि घर-परिवार की शोभा बढ़ाने वाले बुजुर्गों को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाई जा सकें. अल्जाइमर्स में दिमाग में होने वाली नर्व सेल्स के बीच होने वाला कनेक्शन कमजोर हो जाता है| वर्तमान में, दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। 2050 तक यह संख्या 131.5 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। हर 3 सेकंड में डिमेंशिया का एक नया मामला सामने आता है।

आगे डॉ. वरुण कटारिया बताते है  की

60 साल से अधिक उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित

धीरे-धीरे यह रोग दिमाग के विकार का रूप लेता है और याददाश्त को खत्म करता है. ऐसे में बढ़ती उम्र से साथ सोचने की क्षमता भी कम होती जाती है. ये इतना खतरनाक है कि इसमें बुजुर्ग 1-2 मिनट पहले हुए बात को भी भूल जाता है. आम तौर पर अल्जाइमर वृद्धावस्था में होता है. यह 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है. बहुत ही कम केसेस में 30 या 40 की उम्र में लोगों को ये बीमारी होती है|

बुजुर्गों का खास ध्यान रखने की जरूरत

इस भूलने की बीमारी पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से अपने को स्वस्थ रखें. नकारात्मक विचारों को मन पर प्रभावी न होने दें और सकारात्मक विचारों से मन को प्रसन्न बनाएं. पसंद का संगीत सुनने, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने, खेलकूद आदि जिसमें सबसे अधिक रुचि हो, उसमें मन लगाएं तो यह बीमारी नहीं घेर सकती.

इन परेशानियों से गुजरता पड़ता है

इस बीमारी के कारण व्यक्ति का गुस्सा, चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है. लोग धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने लगते हैं. हालांकि, माइंड मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरतकर अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचा जा सकता है. डिमेंशिया की तरह ही अल्जाइमर्स में भी मरीज को किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी दिक्कत महसूस होती है.

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