शिक्षकों का आरोप: बच्चों से फीस ले ली हमें सैलेरी नहीं दी, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

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– एक ही स्कूल के 35 शिक्षकों ने लगाई याचिका, कोर्ट ने दिया नोटिस
– शिक्षकों का कहना कोरोना महामारी जैसे विकट समय में स्कूल संचालकों ने सैलेरी देने में की आनाकानी

Jai Hind News

इंदौर। 23 मार्च 2021
कोरोना महामारी में स्कूलों द्वारा फीस के लिए बच्चों और पालकों को डराने, धमकाने के कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें खुद शिक्षकों ने अपने ही स्कूल पर मनमानी करने, सैलेरी नहीं देने का आरोप लगाया है। मामला इंडस वर्ल्ड, इंदौर से जुड़ा है। यहां के शिक्षकों का कहना है कि स्कूल संचालकों ने बच्चों से फीस वसूली लेकिन हमें सैलेरी नहीं दी जा रही। कई बार मांग करने के बावजूद भी जब शिक्षकों को सैलेरी नहीं मिली तो 35 शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब हाईकोर्ट ने स्कूल और सरकार के नोटिस जारी किए हैं। इस पूरे मामले को लेकर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि बच्चों से फीस नहीं मिलने के कारण शिक्षकों को सैलेरी नहीं दी जा सकी।

हर जगह शिकायत के बाद भी सुनवाई नहहीं, जागृत पालक संघ की मदद से पहुंचे कोर्ट
शिक्षकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन द्वारा कोरोना संक्रमण का हवाला देकर सैलेरी देने से इनकार कर दिया गया। पुलिस, प्रशासन, मानव अधिकार आयोग, स्कूल शिक्षा विभाग, सीबीएसई सहित कई विभागों और अधिकारियों को शिकायत की लेकिन कहीं भी मदद नहीं मिली। शिक्षकों ने हर जगह गुहार लगाई कि बच्चों से पूरी फीस ली जा रही है, लेकिन शिक्षकों को उनके हक के पैसे नहीं दिए जा रहे। आखिरकार शिक्षकों ने जागृत पालक संघ की मदद ली और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। संघ के माध्यम से कोर्ट में याचिका दायर की गई और वहां से नोटिस जारी किए गए हैं।

मानव अधिकार आयोग में भी हुई शिकायत
शिक्षकों का आरोप है कि बगैर सैलेरी काम करने के लिए हम पर दबाव बनाया गया, ऑनलाइन क्लास लेने को कहा गया लेकिन कई शिक्षक नहीं माने। कुछ को गलत तरीके से टर्मिनेट किया गया जबकि कुछ ने परेशान होकर काम छोड़ दिया। जिन टीचर्स को मातृत्व अवकाश मिलना चाहिए था, उन्हें भी समस्ययाओं का सामना करना पड़ा और बाद में मानव अधिकार आयोग में शिकायत करना पड़ी। कहा जा रहा है कि यहां के शिक्षकों द्वारा काम नहीं करने पर दूसरे प्रदेशों के शिक्षकों से ऑनलाइन क्लास लगवाई गई। कई बच्चों को, जिन्हें टीसी लेना थी उन्हें भी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

कोर्ट के आदेश का पालन कर देना होगी सैलेरी
शिक्षकों की ओर से याचिका लगाने वाले हाईकोर्ट एडवोकेट अभिनव मल्होत्रा ने कहा कि शिक्षकों को सैलेरी नहीं देने का मामला गंभीर है और इस सिलसिले में जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश है कि स्टाफ को सैलेरी मिलना चाहिए, लेकिन इंडस वर्ल्ड स्कूल प्रबंधन ऐसा नहीं कर रहा। सैलेरी नहीं मिलने के कारण हमने याचिका लगाई थी जो स्वीकार हो गई है और शासन व स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किए गए हैं।

बच्चों की फीस नहीं मिली, हम सैलेरी कैसे दें
शिक्षकों को सैलेरी नहीं देने की बात स्कूल प्रबंधन स्वीकार कर रहा है। स्कूल डायरेक्टर भरत परमार ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते हम बच्चों और पालकों पर फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते। 35 से 38 प्रतिशत बच्चों ने ट्यूशन फीस के रूप में कुल फीस की 70 प्रतिशत राशि दी है। नया शिक्षा सत्र खत्म होने तक करीब 40 प्रतिशत बच्चों की फीस प्राप्त होगी। इस तरह वर्ष 2019-20 का जो रेवेन्यू हमें मिला था, उसका महज 28 प्रतिशत ही हमें मिलेगा। जबकि कुल रेवेन्यू का 60 प्रतिशत भाग शिक्षकों की सैलेरी में जाता है। शिक्षकों को 50 प्रतिशत सैलेरी भी दें तो 10 प्रतिशत हमें हमारी जेब से देना होगी, जो बड़ी राशि होती है। शिक्षक अपनी जगह सही है और हमारी समस्या सामने हैं। समाधान न हो पाने की स्थिति में वे कोर्ट गए हैं। हमने कुछ शिक्षकों को ऑफर लेटर दिया है कि वे ज्वॉइन करें, 2021-22 सत्र में हम उनकी बकाया राशि दे देंगे। जो लोग कोर्ट केस कर रहे हैं, उनके मामले में हम प्रक्रिया के मुताबिक हम अपना पक्ष रखेंगे।

क्या कहती है एक्सपर्ट की सलाह
स्कूल संचालकों की मनमानी और पालकों की समस्याओं से जुड़े मामलों में जागृत पालक संघ शुरुआती दौर से मैदानी लड़ाई लड़ रहा है। इसके अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता ने बताया कि वर्षों से स्कूल संचालकों द्वारा पालकों से फीस के रूप में तगड़ी वसूली की जा रही है। लेकिन कभी पालक फीस कम करने की बात नहीं करते, लेकिन इस बार महामारी के कारण कई पालकों की नौकरी जा चुकी है और वे फीस देने में असमर्थ हैं। जहां तक उनके अधिकारों की बात है स्कूल बंद है, बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर आधी-अधूरी शिक्षा दी जा रही है। फिर भी पूरी ट्यूशन फीस मांगी जा रही है। ट्यूशन फीस सप्ताह में छह दिन हर रोज छह पीरियड पढ़ाने के लिए ली जाती है, लेकिन इन दिनों कई स्कूलों में सिर्फ दो पीरियड ही रोज लगाए जा रहे हैं, वो भी सप्ताह के पांच दिन। ऐसे में उनसे पूरी ट्यूशन फीस वसूलना पूरी तरह अन्याय है। यही नहीं शिक्षकों को भी सैलेरी नहीं मिल रही। यानी पूरी कमाई स्कूल संचालक हजम कर रहे हैं। कोई स्कूल अपनी बैलेंस शीट नहीं दिखा रहा कि आखिर वास्तव में उसका खर्च कितना है। स्कूल वालों की मनमानी के आगे सरकार भी मौन है और जानबूझकर समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा इसलिए लोगों को, शिक्षकों को इस अराजकता के खिलाफ कोर्ट जाना पड़ रहा है।

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