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– हाईकोर्ट द्वारा ट्यूशन फीस वसूलने के फैसले के खिलाफ लगाई सुप्रीम कोर्ट में गुहार
इंदौर। कोरोना महामारी में निजी स्कूलों द्वारा वसूली जा रही मनमानी ट्यूशन फीस के खिलाफ पालकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बेलगाम हो चुके स्कूलों के खिलाफ पालकों ने याचिका लगाई है और मांग की है कि स्कूलों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। गौरलब है कि स्कूल ट्यूशन फीस को अनुचित बताते हुए जागृत पालक संघ द्वारा उच्च न्यायालय की जबलपुर बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें राज्य शासन, सीबीएसई बोर्ड, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड सीबीएसई स्कूल के साथ आईसीएसई बोर्ड को भी पक्षकार बनाया गया था। इसमें हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस वसूली जा सकती है। इसी के विरूद्ध पालकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसकी पहली सुनवाई 13 जनवरी 2021, बुधवार को हो सकती है।
सुविधा कम, फीस पूरी
याचिका में मांग की गई है कि शासन द्वारा स्कूलों को पूर्व की तरह ट्यूशन फीस वसूलने की जो छूट दी गई है, लेकिन अधिकतर स्कूलों द्वारा ली जाने वाली पूरी फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही वसूली जाती है। सामान्य दिनों में स्कूलों द्वारा कई अन्य तरह की सुविधाएं भी दी जाती हैं लेकिन वर्तमान में स्कूल बंद रहने से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है। ऐसे में छात्रों को सुविधाएं दिए बगैर पूरी फीस ली जा रही है।
पालकों को करना पड़ रहा अतिरिक्त खर्च, फीस निर्धारण के लिए बने कमेटी
जागो पालक जागो संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता चंचल गुप्ता ने बताया कि स्कूलों के खर्च में भी भारी कटौती आई है, लेकिन दूसरी ओर पालकों को ऑनलाइन पढ़ाई के संसाधन जुटाने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। इसके बावजूद बच्चों को पढ़ाई का वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता मयंक क्षीरसागर के माध्मय से लगाई गई याचिका में मांग की गई है कि जरूरी है कि उच्च न्यायालय की निगरानी में एक कमेटी का गठन किया जाए। जो स्कूलों द्वारा वर्तमान में करवाई जा रही ऑनलाइन पढ़ाई में लगने वाले वास्तविक खर्च और अन्य सभी तथ्यों जैसे लॉक डाउन के कारण उपजे आर्थिक संकट इत्यादि को ध्यान में रखते हुए उचित ट्यूशन फीस का निर्धारण करे। हाईकोर्ट द्वारा दिए ट्यूशन फीस वसूली के आदेश में भी अंतरिम राहत प्रदान करने की भी मांग की गई है।